और नगेे नंगे पैैर चेहरे पर मुस्कान के साथ बोलीीं दीदी कुछ खाने को दो। और नगेे नंगे पैैर चेहरे पर मुस्कान के साथ बोलीीं दीदी कुछ खाने को दो।
इतना फर्क क्यूँ इतना फर्क क्यूँ
ये फिर परेशान करे तो बताना !" वो फिर मुस्कुरा दी। ये फिर परेशान करे तो बताना !" वो फिर मुस्कुरा दी।
अगर ऐसा काम वह पकड़ भी ले तो भी उसे ज्यादा दिन ढो नहीं सकते। अगर ऐसा काम वह पकड़ भी ले तो भी उसे ज्यादा दिन ढो नहीं सकते।
अब उसके पास सिवाय पछ्तावा करने के और कुछ नहीं था जो वक्त चला गया अब वो वापिस नहीं आ सकत अब उसके पास सिवाय पछ्तावा करने के और कुछ नहीं था जो वक्त चला गया अब वो वापिस नही...
लेखक : व्लादीमिर दाल् अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : व्लादीमिर दाल् अनुवाद : आ. चारुमति रामदास